Wednesday, March 11, 2015

दिल है कि मानता ही नही !

आज १२ बज गया, फिरभी मुझे निन्द नही आ रही और आँखो से आसुँ गिरे जा रहें है | मालुम नही हो राहा कि क्यों ये आँशु इतने गिर रहे हैं ? आखिर क्या हुआ, किस्ने क्या कहा तुझे  ? - तो जवाफ के रुपमे मनमे बार बार एक ही ख्याल आ राहा है और वो है "माँ " कि याद, ये आखें उनकी राहे देखती रेहती हैं, हर किसी मे बस उनहीकी छबी दुढंती रेहती है ये पागल मन |
मैने एक माँ खोया तो पापा को अपने माँ के रुपमे पाया और भी कितने माँ के प्यार के जैसा मिल राहा है, फिरभी मेरा दिल है कि रोए जा राहा है - रोए जा राहा है, खुद तो रो ही राहा है और साथ ही एस कमजोर आखों से आसुँ गिरा कर औ कमजोर बना राहा है | 
तब मेरा दिल और रोतें हुवे ये कह्ता है - हाँ, मुझे बहुत लोगों ने माँ बनकर माँ जैसी प्यार और ममता देने कि कोसिस की | पर मेरा दिल, मेरी आत्मा फिरभी मेरी अपनी माँ, जन्म देने वालीं माँ के लिए तरस्ती रेहती है | मेरा मन हर उस औरत मे मेरी माँ कि छबी ढुढन्ति रेहती है, वो ढुढन्ति है माँ कि प्यार भरी बातें, माँ कि छाया, माँ कि गोंद जिन्मे मैं कभि भी सिर रखके सोति थि और माँ को बाल सह्लाने के लिए बोल्ती थि | पर ये सब मैं इन सबके प्रेम नही देखती, इन्के प्रेम मे सिर्फ समान हैं, वस्तु-उपहार है, ऐसी बस्तुवे लेकर मैं क्या करुंगी जिसेके लिए ना कभी मैं तर्सि ना सायद कभी तरसुंगी, अगर तरसी हुन् तो सिर्फ माँ कि ममता के लिए, जो ममता सायद मुझे अब कोई नही दे सक्ता / सक्ती, क्योंकी उनके पास मेरे लिए सबकुछ है पर तिमे नही है मेरे बेकार मन को बेह्लाने के लिए |
कभी कभी मन तो करता है इस दिल को ही निकाल बाहर फेकुं, ना रहेगा बास ना बजेगी बासुंरी | इतनी सारी प्यार मोहब्ब्त्त मिल्ने पर भी इसे संतुष्टि नही होती, ये कोई खाना नही है ! पर फिर सोचति हुँ दिल को पत्थर  बना भी लुं तो दुसरों को तक्लिफ होगी, मैं दुसरें का दर्द को नही समझ पाउंगी और वैसा ही अन्जान होके गलत तरिके व्यहार करुंगी, जो कि गलत है |
तब सोचति हुँ आत्मा हत्या ही सबसे सरल और सहज उपाय है, जो मैं पहले ४ बार कर भी चुकिं हुँ पर फिर पापा और छोटा भाई का चेहरा देखर फिछे हट गई मैं | तबसे मैने ठान लि कि मैं अब अपना जीवन अपने लिए दुसरो के लिए जिउंगी और मेरा इस जीवन का दुसरों को जरुर होना चाहिए |
इसलिए मेरे जिने का मकसद अब एक ही है और वो है मेरे जीवन से गर किसी एक का भी भला हो जाए, वो दिन मेरा जीवन का सबसे उत्कृस्ट दिन और स्मरिनिय दिन रहेगा |
     मेरी माँ ! अच्छी माँ ! सच्ची माँ ! प्यारी माँ ! भोली माँ ! मेरी माँ !

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