Monday, September 29, 2014

मिथिलामे जितिया पाबैन् |

अपने सभ मिथिलाक मित्र लोकनिकेँ जितिया पाबनिक बहुत रास शुभकामना....!
अपना सभके अहि पाबनिक बारेमें बुझले अछि तैँ जे अमैथिल छथि हुनका लेल किछु लिख रहल छी !
Hindi:
आज मिथिला (भारत-नेपाल) में जितिया पर्व मनाया जा रहा है. इस पर्व का खासीयत आप यैसे समझ सकते हैँ कि जैसे कहा जाता है सावित्री ने सत्यवान को यमराज से छीन लिया था वैसे ही ओ माँ जो इस पर्व को करती हैँअपने सन्तान (पुत्र-पुत्री) को इस पर्व को करने से काल के गाल से छीन सकती है...!
ये अत्यन्त कठीन व्रत है हरेक माता के लिये l इस साल तो शायद अन्न-जल मात्र ३० घन्टा तक त्यागेँगी, वर्ना कभी कभी तो ४८ घन्टा से ज्यादा लम्बा भी हो जाता है ये व्रत l और इसी से सम्बन्धीत शब्द है 'खर जितिया' जिसके बारे में मुझे नही मालूम, मगर ये और भी कठीन होता है..!
अगर कोई इन्सान मौत के मुँह से बाल-बाल बच जाये तो मिथिला में लोग कहते हैँ कि 'जरुर तुम्हारे माँ नें खर जितिया' किया होगा कि तुम बच गये l
मैँ उन सभी माताओँ को अपने इसी पोष्ट के माध्यम से प्रणाम करता हूँ जो अपने सन्तान के लिये इस कठीनतम व्रत को करती हैँ और ये उम्मीद करता हूँ कि हरेक सन्तान को ये हमेशा याद रहे कि सिर्फ बचपन में ही नहीं ताउम्र उनके सुख, कल्याण और दिर्घायु के लिये उनकी मातायेँ कितनी कठोर व्रत करती रही हैँ..., और अपने जिन्दगी के अन्तिम समय में ओ बिना कहे अपने सन्तान से क्या अपेक्षा करती होँगी l
ये जो चित्र है ये मैंने अभी मेरे मोबाईल से लिया है, बहुत हिचकिचाहट से पोष्ट कर रहा हूँ..बहुत सोचने के बाद कि इस चित्र में जो काला रोटी है उसे 'मरुआ' Millet कहते हैँ और मछली इस पर्व का अभीन्न हिस्सा है..!
मैं चाहता था कि चौरचन के सात्विक आहार पोष्ट करुँ मगर इसबार मैँ खुद बन्चित रह गया,तो यही सही....इसे हमारा सँस्कृति समझ स्विकार करेँगे...ये बिश्वास है !

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